पिछड़ा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश सोनी ने कहा कि सत्ता संभालते ही ममता बनर्जी ने वोटबैंक की राजनीति करते हुए बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को ओबीसी प्रमाण पत्र बनाकर दिए, बिना किसी नियम का पालन करते हुए 118 जातियों को ओबीसी में शामिल किया और अल्पसंख्यकों को भी ओबीसी प्रमाण पत्र जारी कर दिए। इसे कलकत्ता उच्च न्यायालय ने असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने का निर्णय लिया है।
पूर्व महापौर और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि सिर्फ वोटबैंक की राजनीति करने वाली ममता बनर्जी का सच जनता के समक्ष उजागर हो गया है। लेकिन तुष्टीकरण पर उतारू ममता बनर्जी उच्च न्यायालय के निर्णय की अवमानना कर संविधान का ही अपमान कर रही हैं।
पूर्व जिलाध्यक्ष पीताम्बर टोपनानी ने कहा कि ममता बनर्जी का यह बयान अहंकार और अराजकता की पराकाष्ठा है। धर्म के आधार पर असंवैधानिक आरक्षण देने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक दिन भी मुख्यमंत्री पद पर रहने का अधिकार नहीं है।
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